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Frequently Asked Question

Sugarcane 

💫Botanical Name - Sachharum officinarum L. 
💫Family - Gramineae  
💫Chromosome no. (2n) = 80
In Hindi

💫वानस्पतिक नाम - सैचरम ऑफ़िसिनारम एल. 

💫परिवार - ग्रामीण  

💫क्रोमोसोम नं. (2एन) = 80

परिचय 

🎯गन्ने को नोबल केन के नाम से जाना जाता है और यह भारत में चीनी का मुख्य स्रोत है। 

🎯टीएस वेंकटरमन को गन्ने के जादूगर के रूप में जाना जाता है। 

🎯सच्चरम शब्द संस्कृत के शब्द सरकारा से लिया गया है जिसका अर्थ चीनी होता है। 

🎯चीनी उद्योग भारत में कपड़ा उद्योग के बाद सबसे बड़ा कृषि आधारित प्रसंस्करण उद्योग है। 

🎯 भारत में 504 गन्ना कारखाने (2021-22) हैं। 

आर्थिक महत्व 

🎯 गन्ना नकदी फसलों में से एक है। और भारत में चीनी का मुख्य स्रोत है

🎯 गन्ने का ऊपरी हरा भाग चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

🎯गन्ने के उत्पाद - सफेद चीनी, खाडसारी, ब्राउन चीनी। 

🎯 उपोत्पाद - गुड़, खोई। 

🎯 गुड़ बनाने के लिए उपयोग किया जाता है - शराब (रम) और चारे में मिलाने वाला पदार्थ। 

🎯बगास का उपयोग कागज, प्लास्टिक बनाने में किया जाता है  

🎯 100 टन गन्ने में = 10-12t. चीनी, 4.-4.5t गुड़, 3-3.5t प्रेस मिट्टी।  

🎯 जैव ईंधन - गन्ना भी जैव ईंधन का एक अच्छा स्रोत है। 

मूल / उत्पत्ति केन्द्र

🎯जंगली किस्म की उपस्थिति के आधार पर गन्ने का उद्गम स्थान न्यू गिनी है। 

🎯 सचहरम बारबेरी का उद्गम स्थल उत्तर पूर्व भारत है। 

क्षेत्र एवं उत्पादन  

💫विश्व में - भारत > ब्राज़ील (2022)

💫भारत में 

🎯क्षेत्र - उत्तर प्रदेश 

🎯उत्पादन - यूपी >एमएच > कर्नाटक (2021)

🎯उत्पादकता - तमिलनाडु 

जलवायु 

🎯उष्णकटिबंधीय जलवायु (26 - 32°C)

🎯 वर्षा की आवश्यकता - 75 सेमी - 120 सेमी।

💫 उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत गन्ने का अधिक उत्पादक क्यों है?

🎯उत्तर. कुछ निम्नलिखित कारण हैं जिनके कारण उत्तर भारत में दक्षिण भारत की तुलना में कम उत्पादकता है। 

1. विकास चरणों के दौरान अनियमित वर्षा के कारण। 

2. कम धूप के कारण. 

3. दक्षिण भारत में पूरे वर्ष गर्म तापमान रहता है।  

मिट्टी

🎯 गन्ने के लिए रेतीला ऋण एवं मिट्टी ऋण अच्छा रहता है

🎯अच्छी जल निकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। 

🎯गन्ना लवणता, क्षारीयता अथवा क्षारीयता सहन नहीं कर सकता। 

खेत की तैयारी

🎯1 गहरी जुताई 

🎯 4-5 हैरोइंग

🎯2-3 प्लैंकिंग 

बीज दर एवं बीज उपचार 

🎯गन्ने के तने का उपयोग बीज के रूप में किया जाता है लेकिन गन्ने का ऊपरी 1/3 या 1/2 भाग बुआई के लिए पसंद किया जाता है। 

💫कारण - सुक्रोज की मात्रा कम, कलियों की जीवनक्षमता अधिक, पौधा अपरिपक्व। 

🎯सेट चयन के लिए रैटन फसल का उपयोग नहीं किया जाता है 

🎯30,000-40,000 सेट/हे 

🎯 बीज उपचार - एगैलोल 0.5%+ एरेटेंट (फफूंद के लिए) + बीएचसी (दीमक और अंकुर छेदक के लिए) 

बुआई का समय एवं अंतर

🎯गन्ने की बुआई को दो भागों में बांटा गया है। 

🔰 एक साली (1 वर्ष के लिए)

1. शरदकालीन रोपण (अक्टूबर)

2. वसंत रोपण (फरवरी)

🔰 अडसाली 

1. जुलाई 

🎯बुवाई के लिए पंक्तियों के बीच 4-5 इंच की जगह पर्याप्त होती है। 

बुवाई की विधि 

🎯 सामान्यतः गन्ना बोने की 3 विधियाँ होती हैं।

1. समतल

🎯इस विधि में स्थानीय हल से अधिकतम गहराई (8-10 सेमी) की उथली नाली बनाई जाती है। 

2. नाली / कूड 

🎯इस विधि में नाली की सामान्य गहराई 10 - 15 सेमी होती है लेकिन दक्षिण भारत में 20 सेमी होती है। आजकल इस विधि में हेवी मशीनें कार्यरत हैं। 

3. ट्रेंच विधि 

🎯यह विधि मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में लागू की जाती है जहां बरसात के मौसम में तेज हवाओं के कारण फसलें गिर जाती हैं। बुआई की प्रक्रिया कमोबेश फ़रो विधि के समान ही है लेकिन इस विधि में फ़रो की गहराई 25 सेमी से अधिक होती है और हल्की सी प्लैंकिंग की जाती है। 

आधुनिक कृषि में कई विधियाँ विकसित हो रही हैं, इसलिए मैं केवल कुछ पुरानी और सिद्ध विधियों का उल्लेख करता हूँ। 

उर्वरक एवं खाद 

🎯FYM - 15-30 टन/हेक्टेयर

🎯एन:पी:के - 120:60:40 (उत्तर भारत के लिए)

🎯N:P:K - 250- 350:100:80 (दक्षिण भारत के लिए)

जल प्रबंधन 

🎯गन्ने की कुल पानी की आवश्यकता 200 सेमी से 300 सेमी तक होती है।

गन्ने के पौधे के चक्र को 4 अलग-अलग चरणों में विभाजित किया गया है

1. अंकुरण चरण. (रोपण से 69वें दिन तक)

2. प्रारंभिक चरण. (60वें से 130वें) 

3. वृद्धि चरण. (130वें से 250वें)

4. परिपक्वता चरण. (250वें से 365वें दिन) 

🎯उत्तर भारत -

1. शरद ऋतु में 7 सिंचाई. 

2. वसंत ऋतु में 6 सिंचाई. 

🎯दक्षिण भारत

1. 10 - 12 सिंचाई.

🎯 जल निकासी महत्वपूर्ण है अन्यथा फसल रुक जाती है जिससे फसल की उपज और सुक्रोज की मात्रा कम हो जाती है

खरपतवार नियंत्रण 

🎯गन्ने में खरपतवार एक बड़ी समस्या है अत: इनका प्रबंधन आवश्यक है। 

🎯यांत्रिक विधि से - 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई करें।

🎯रासायनिक विधि से - 

1. रोपण के 60 दिनों के बाद 2, 4-डी 1 किग्रा/हेक्टेयर की मात्रा में छिड़काव करें।  

2. एट्राजीन की 2 किलोग्राम सक्रिय सामग्री को 500 - 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.  

फसल काटई  

🎯उत्तरी भारत में गन्ना लगभग दिसंबर के प्रारंभ तक पक जाता है।

🎯 गन्ने की परिपक्वता का परीक्षण करने के लिए रेफ्रेक्टोमीटर का उपयोग किया जाता है। इस विधि में डंठल के मध्य भाग से रस का नमूना लिया जाता है जिसकी रीडिंग 17 से 18 के बीच होती है तो गन्ने को परिपक्व माना जाता है।

उपज 

🎯उत्तरी भारत में स्थिति (अक्साली) = 450-500 क्विंटल/हे

🎯दक्षिणी भारत में स्थिति (अडसाली) = 1000-1200 क्विंटल/हेक्टेयर

🎯बारिश आधारित स्थिति = 200-250 क्विंटल

Introduction 

🎯 Sugarcane is known as Nobal Cane and it's the main source of sugar in India. 
🎯T.S. Venkataraman is known as a Sugarcane wizard. 
🎯The word Sachharum is derived from the Sanskrit word Sarkara which means sugar. 
🎯 Sugar industry is the largest agro-based processing industry after textiles in India. 
🎯 In India there are 504 Sugarcane factories (2021-22). 

Economical Importance 

🎯 Sugarcane is one of the cash crops. And main source of sugar in India
🎯 Top Green part of sugarcane is used as fodder. 
🎯 Products of sugarcane - White sugar, khan sari, Brown sugar. 
🎯 Byproducts - Molass, Bagasse. 
🎯 Molass used to make — Alcohol(Rum) & additive to fodder. 
🎯Bagasse is used to make - paper, plastic  
🎯 In 100-ton Sugarcane = 10-12t. sugar, 4.-4.5t Molass, 3-3.5t press mud.  
🎯 Biofuel - Sugarcane is also a good source of biofuels. 

Origin 

🎯 Based on the presence of wild variety New Guinea is the origin of sugarcane. 
🎯 The origin of Sachharum Barberi is North East India. 

Area & Production  

💫In World - India > Brazil (2022)
💫In India 
🎯Area - UP 
🎯Production - UP >MH > Karnataka (2021)
🎯Productivity - Tamil Nadu 

Climate 

🎯 Tropical climate (26 - 32°C)
🎯 Rain requirements - 75cm - 120cm.
💫 Why is South India more productive of sugarcane than North India?
🎯Ans. There some following reasons that's why North India has lower productivity than South India. 
1. Due to erratic rainfall during growth stages. 
2. Due to low sunshine. 
3. South India has warm temperatures throughout the year.  

Soil

🎯 Sandy loan and clay loan are good for sugarcane
🎯 Well-drained soil is required. 
🎯 Sugarcane cannot tolerate salinity, alkalinity, or Sodicity. 

Varieties 

Some Important variety
Co-LK94184, CO0238(also known as wonder variety),  Co 740 , Co 15023 (New Variety) 


Field Preparation

🎯1 Deep ploughing 
🎯 4-5 harrowing 
🎯2-3 Planking 

Seed Rate & Seed Treatment 

🎯 Sugarcane Stem is used as seed but Top 1/3 or 1/2 portion of sugarcane is preferred for sowing. 
💫 Reason - Sucrose content is low, bud has high viability, Plant immature. 
🎯 Raton crop is not used for sett selection 
🎯30,000-40,000 sett /ha 
🎯 Or 7.5 - 8 q sugarcane.
🎯 Seed treatment - Agallol 0.5%+ Aretant ( For fungus) + BHC ( For termites and shoot borer ) 

Sowing Time & Spacing

🎯 The sowing of sugarcane is divided into two parts. 
🔰 Ek sali ( For 1 year)
1. Autumn planting (October)
2. Spring planting (February)
🔰 Adsali 
1. July 
🎯4- 5 inch space between rows is sufficient for sowing. 

Method of sowing 

🎯 Generally there 3 methods for sowing sugarcane.

1. Flat. 

🎯In this method shallow furrows are created with optimum depth (8-10cm) with a local plough. 

2. Furrow

🎯In this method the normal depth of furrow is 10 - 15cm but 20cm in South India. Nowadays Havey machines are employed in this method. 

3. Trench Method 

🎯 This method is mainly applied in areas where the strong winds in the rainy season cause crop lodging. The sowing process is more or less the same as the furrow method but in this method, the depth of the Farrow is more than 25 cm and slightly planking is done. 

Many Methods are developing in modern agriculture, So I just mention some old and proven methods. 

Fertilizer & Manure 

🎯F.Y.M - 15-30 tonnes/ha
🎯N:P:K - 120:60:40 ( FOR NORTH INDIA)
🎯N:P:K - 250- 350:100:80 ( FOR SOUTH INDIA)

WATER MANAGEMENT 

🎯 The total water requirement of sugarcane varies from 200 cm to 300cm.
The Cycle of the sugarcane plant is divided into 4 distinct phases namely
1. Germination phase. (From planting to 69th days)
2. Formative phase. (60th to 130th) 
3. Grand phase. ( 130th to 250th)
4. Maturity phase. ( 250th to 365 day) 

🎯 North India -
1. 7 Irrigation in Autumn. 
2. 6 Irrigation in Spring. 

🎯 South India
1. 10 - 12 Irrigation.

🎯 Drainage is important otherwise crop lodging occurs which reduces crop yield and Sucrose content. 

Weed Control 

🎯 Weed is a major problem in sugarcane so their management is necessary. 
🎯 By Mechanical method - 3 to 4 time weeding.
🎯 By Chemical Method - 
1.  Spary of 2, 4-D 1kg/ha after 60 days of planting.  
2. Spray 2kg active ingredients of Atrazine in 500 - 600 litres of water per hectare.  

Disease 

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Insect Pest

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Harvesting  

🎯 In Northern India sugarcane ripens by about early December.
🎯 Refractometer used to testing the maturity of sugarcane. In this method sample juice taken from middle portion of stalk which shows a reading between 17 and 18 then  the cane is considered as mature.

Yield 

🎯In Northern India condition (Aksali)  = 450-500 quintals/ha
🎯In Southern India condition (Adsali) = 1000-1200 quintals/ha
🎯Rainfed condition = 200-250 quintals

Thank you ❣️

About the Author

I'm an ordinary student of agriculture.

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