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Cultivation of Wheat PPT | Notes & PDF Download

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Frequently Asked Question
wheat

Wheat

💫Botanical Name - Triticum Aestivum ( hexaploid)
💫Family - Gramineae  
💫Chromosome no. (2n) = 42
In Hindi

💫वानस्पतिक नाम - ट्रिटिकम एस्टिवम (हेक्साप्लोइड)

💫परिवार - ग्रामीण  

💫क्रोमोसोम नं. (2एन) = 42

परिचय 

🎯क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों के मामले में अनाज (एक रोमन शब्द ' सेरेस ' = अनाज की देवी) में गेहूं दुनिया में पहले स्थान पर है ।

🎯इसे अनाज का राजा भी कहा जाता है।

गेहूं में स्पंजी प्रोटीन यानी ग्लूटेन (10-12%) होता है जो बेकिंग (बेकरी उत्पादों) के लिए आवश्यक है।

🎯ग्लूटेन बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कुछ हद तक हानिकारक है।  

🎯गेहूं के पुष्पक्रम को बाली या स्पाइक के नाम से जाना जाता है और बीज को कैरियोप्सिस कहा जाता है। 

🎯गेहूं में बौनेपन के लिए जिम्मेदार जीन (Rht1 और Rht2) को नोरिन-10 (एक जापानी बौनी गेहूं की किस्म) से लाया जाता है, जिसे 1960 में मैक्सिको में डॉ. बोरलॉग द्वारा अलग किया गया था।

🎯एक अन्य बौना जीन यानि Rht3 को टॉम थंब पौधे से अलग किया गया है।

🎯गेहूं में नियासिन और थायमिन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है। 

मूल / उत्पति केन्द्र

🎯गेहूं की खेती प्राचीन काल से ही की जाती रही है। इसलिए कई स्थानों पर गेहूं की उत्पत्ति का दावा किया जाता है। 

🎯 सभी उपलब्ध अभिलेखों से पता चलता है कि इसका मूल स्थान दक्षिण पश्चिमी एशिया है।

क्षेत्र एवं उत्पादन  

🎯क्षेत्र - यूपी > पंजाब > एमपी 

🎯उत्पादन - यूपी>पंजाब>एमपी

🎯उत्पादकता - पंजाब (45q./हेक्टेयर)>हरियाणा 

आर्थिक महत्व 

🎯भारत में गेहूं के फल का उपयोग ज्यादातर चपाती (रोटी) और गेहूं से बने कई अलग-अलग प्रकार के खाद्य उत्पादों के रूप में किया जाता है।

🎯रोटी और पास्ता बनाने के लिए उपयोग। 

गेहूँ के भूसे का उपयोग चारे के रूप में किया जाता है।

जलवायु 

🎯आदर्श के लिए तापमान 

अंकुरण - 20 - 25°C

पकना - 14 -15°C

🎯लेकिन यदि तापमान 25°C से अधिक है तो गेहूं के दाने का वजन कम हो जाता है। 

🎯गेहूं भारत में रबी (सर्दी) मौसम की फसल है। 

🎯बुवाई के बाद बारिश अंकुरण के लिए हानिकारक होती है और अंकुर झुलसा रोग को बढ़ावा देती है।

मिट्टी

🎯दोमट या दोमट बनावट, अच्छी संरचना और मध्यम जल धारण क्षमता वाली मिट्टी गेहूं की खेती के लिए आदर्श होती है।

खेत की तैयारी

🎯1 गहरी जुताई 

🎯2 हैरोइंग 

🎯2-3 प्लैंकिंग 

बीज दर एवं बीज उपचार 

🎯125 किग्रा/हे.

🎯25-30 किग्रा/हेक्टेयर (डिबलर द्वारा)

🎯थिरम, एग्रोसन जीएन का उपयोग बीज उपचार के लिए 2.5 ग्राम/किग्रा बीज की दर से किया जाता है  

बुआई का समय एवं अंतर

🎯सामान्य तौर पर, बुआई अक्टूबर के पहले सप्ताह से नवंबर के अंत तक शुरू होती है, लेकिन प्रायद्वीपीय क्षेत्र में बुआई का समय 15 दिसंबर तक चलता है। 

🎯बुवाई के लिए पंक्तियों के बीच 4-5 इंच की जगह पर्याप्त होती है। 

बुआई की विधि 

🎯गेहूं की बुआई की 5 विधियां हैं।

1. छिडकाव विधि

🎯इस विधि में बीज को हाथों से फैलाकर तथा हैरो चलाकर ढक दिया जाता है।

2. हल के पीछे - 

🎯इस विधि में बीज को हल से जुड़ी नाली में हाथ से गिराया जाता है। बीज की गहराई 5-6 सेमी.

3. ड्रिलिंग - 

🎯इस विधि में बीज को सीड ड्रिल द्वारा गिराया जाता है।

4. डिबलिंग - 

🎯इस विधि का प्रयोग वहां किया जाता है जहां बीज की आपूर्ति सीमित है। बुआई डिबलर की सहायता से की जाती है।

5. जीरो टिलेज तकनीक  

🎯इस तकनीक में सिंचित खेतों में बिना जुताई किए बीज बोए जाते हैं।

उर्वरक एवं खाद 

🎯FYM - 10-15 टन/हेक्टेयर

🎯एन:पी:के - 120:60:40 (समय पर बुआई के लिए)

🎯N:P:K - 80:40:20 (देर से बोई जाने वाली फसल के लिए)

सिंचाई 

🎯सिंचाई की निम्नलिखित अनुसूची बौनी किस्मों के लिए है।

पहला - 20-25 दिन (बुवाई के बाद के दिन)

दूसरा - 40-45 DAS 

तीसरा - 60-65 DAS 

चौथा - 80-85 DAS 

5वाँ - 110 -120 DAS 

छठा - 130 DAS (यदि आवश्यक हो)

खरपतवार नियंत्रण 

🎯सामान्य खरपतवार का नाम 

बथुआ ( चेनोपोडियम एल्बम )

गजरी ( फूमरिया परविफ्लोरा)

सेन्जी ( मेलिलोटस इंडिका )

जंगली जई ( एवेना फतुआ)

मोथा ( साइपरस रोटंडस )

डूब ( सिनोडोन डेक्टाइलोन )

फ़लारिस माइनर

🎯खरपतवारनाशी

2, 4-डी (डाइ क्लोरोफेनोक्सीएसिटिक)

ट्राइबुनिल/आइसोप्रोट्यूरॉन 50% का प्रयोग फालेरिस माइनर के लिए 1.5 किग्रा/हेक्टेयर की दर से किया जाता है।

बीमारी 

रस्ट (भूरा और पीला रस्ट विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी भाग में दिखाई देता है) 

कारक जीव - पुकिनिया रिकॉन्डिटा ट्रिटिसी (भूरा रस्ट), पुकिनिया स्ट्राइफोर्मिस (पीला रस्ट), पुकिनिया ग्रेमिनिस ( काला रस्ट)।

कंडवा रोग ( लूज स्मट )

कारक जीव - उस्टिलैगो नुडा ट्रिटिसी (स्मट फंगस)

करनाल बंट 

कारक जीव - नियोवोसिया इंडिका

पाउडरी मिल्डीयू

कारक जीव - एरीसिपे ग्रेमिनिस 

🎯नियंत्रण के उपाय 

1. रोग प्रतिरोधी फसल उगाएं 

2. 0.2% मैंकोजेब एवं जिनेब का छिड़काव करें 

3. बुआई से पूर्व बीजोपचार करें

 कीट

दीमक

गुझिया घुन

भूरे गेहूं का घुन 

🎯नियंत्रण 

एंडोसल्फान 35EC (1.25 लीटर/हेक्टेयर 1000 लीटर में) एवं 2% मिथाइल पैराथियान धूल (20-25 किग्रा/हेक्टेयर)

कटाई एवं गहाई 

🎯कटाई का सही समय वह है जब अनाज में लगभग 25-30% नमी हो। कटाई के 3-4 दिन बाद मड़ाई की जाती है।

उपज 

🎯सिंचित अवस्था में = 45- 55 क्विंटल 

🎯वर्षा आधारित स्थिति = 20-25 क्विंटल 

Introduction 

🎯Wheat ranks first in the world among cereals (A roman word 'Ceres' = Goddess of grain) both concerning area and production. 
🎯It's also known as the King of cereal.
Wheat contains Spongy Protein i.e. Gluten (10- 12 %) which is essential for baking (bakery products).
🎯Gluten is somewhat harmful to children's health.  
🎯Wheat inflorescence is Known as Ear or Spike and the seed is caryopsis. 
🎯Gene (Rht1 and Rht2) responsible for dwarfness in wheat is brought from Norin-10 ( A Japanese dwarf Wheat variety) which was isolated by Dr. Borlaug in 1960 in Mexico. 
🎯 Another dwarf gene i.e. Rht3 is isolated from Tom thumb plant.
🎯Wheat has a relatively high content of niacin and thiamine. 

Origin 

🎯Wheat has been cultivated since ancient times. Hence many places are claimed as the origin of wheat. 
🎯 All available records reveal its origin is South Western Asia.

Area & Production  

🎯Area - UP >Punjab > MP 
🎯Production - UP >Punjab> MP
🎯Productivity - Punjab ( 45q./ ha)> Haryana 

Economical Importance 

🎯In India wheat fruit is mostly used as chapatis (Roti) and many different types of edible products made of wheat.
🎯Usage for making bread and Pasta. 
The straw of wheat is employed as forage.

Climate 

🎯Temperature for The Ideal 
germination - 20 - 25°C
Ripening - 14 -15°C
🎯but if the temperature is more than 25°C wheat grain tends to depress grain weight. 
🎯Wheat is a Rabi(winter) season crop in India. 
🎯Rains after sowing is harmful for  germination and encourage seedling blight.

Soil

🎯Soil with clay loam or loam texture, good structure, & moderate water-holding capacity is ideal for wheat cultivation.

Varieties

Image Source- Modern Techniques of Raising Field Crops 

Image Source- Modern Techniques of Raising Field Crops 

Image Source- Modern Techniques of Raising Field Crops 


Cropping system 

Image Source- Modern Techniques of Raising Field Crops 


Field Preparation

🎯1 Deep Ploughing 
🎯2 harrowing 
🎯2-3 Planking 

Seed Rate & Seed Treatment 

🎯125 kg/ ha.
🎯25- 30 kg/ha (by dibbler)
🎯Thiram, Agrosan G.N. used for seed treatment at a rate of 2.5g/Kg seed  

Sowing Time & Spacing

🎯In general, sowing starts from the first week of October to the late week of November but in the peninsular zone, the sowing time expends to 15 December. 
🎯 4- 5 inch space between rows is sufficient for sowing. 

Method of sowing 

🎯 There are 5 methods of sowing of wheat.

1. Broadcasting. 

🎯 In this method seed is broadcast by hands and covered by harrowing.

2. Behind Plough - 

🎯 In this method seed drops by hand into a furrow which connects with the plough. The depth of the seed is 5-6 cm.

3. Drilling - 

🎯 In this method seed is dropped by a seed drill.

4. Dibbling - 

🎯 This method is used where the supply of seed is limited. Sowing is done with the help of a dibbler.

5. Zero tillage technique  

🎯In this technique seeds are sowing without ploughing in irrigated fields.

Fertilizer & Manure 

🎯F.Y.M - 10-15 tonnes/ha
🎯N:P:K - 120:60:40 ( FOR TIMELY SOWING CROP)
🎯N:P:K - 80:40:20 ( FOR LATE SOWING CROP)

Irrigation 

🎯The following schedule of irrigation is for dwarf varieties.
1st - 20-25 DAS (Days after sowing)
2nd - 40-45 DAS 
3rd - 60-65 DAS 
4th - 80-85 DAS 
5th - 110 -120 DAS 
6th - 130 DAS (IF NEEDED)

Water availability


Weed Control 

🎯 Common Weed Name 
Bathua (Chenopodium Album)
Gajri (Fumaria parviflora)
Senji (Melilotus Indica)
Wild oat (Avena Fatua)
Motha (Cyperus Rotundus)
Doob (Cynodon dactylon)
Phalaris minor

🎯 Weedicide
2, 4-D (Di chlorophenoxyacetic)
Tribunil/isoproturon 50% used for Phalaris minor at the rate of 1.5kg/hectare

Disease 

🎯 Name

Rust (Brown & yellow rust particularly appears in the north-western part) 
Causal organism - Puccinia recondita tritici (brown rust), Puccinia Striiformis (Yellow rust), Puccinia graminis (Black rust).
Loose smut 
Causal organism - Ustilago nuda tritici (smut fungus)
Karnal Bunt 
Causal organism - Neovossia Indica
Powdery mildew 
Causal organism  - Erysiphe graminis 

🎯 Control Measures 
1. Grow a disease-resistant crop 
2. Spray of 0.2% Mancozeb & Zineb 
3. Seed treatment before sowing

Insect Pest

🎯Name 
Termites
Gujhia Weevil
Brown wheat mite 

🎯Control 
Endosulfan 35EC (1.25 L/Ha. in 1000 litres) & 2% Methyl parathion Dust (20-25 kg/ha.)

Harvesting & Threshing 

🎯The right time for harvesting is when there is about 25-30% moisture in the grain. Threshing is done after 3-4 days of harvesting.

Yield 

🎯In irrigated condition = 45- 55 quintals 
🎯Rainfed condition = 20-25 quintals 

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Thank you ❣️

About the Author

I'm an ordinary student of agriculture.

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