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Integrated Farming System by MS ChaudharyFrequently Asked Question
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Integrated Farming System (IFS) – A Brief Overview
Definition and Purpose
The Integrated Farming System (IFS) is a sustainable agricultural approach that enhances productivity, resource efficiency, and environmental protection. It creates a synergy among various farming components to ensure economic stability, nutritional security, and ecological balance.
Key Features of IFS
- Sustainability: Promotes long-term environmental and economic viability.
- Resource Optimization: Maximizes the use of land, water, labor, and waste.
- Diversification: Reduces risk by incorporating multiple farm activities.
- Environmental Protection: Conserves soil, water, and biodiversity.
- Income and Nutritional Stability: Provides varied products for economic resilience and a balanced diet.
Major Components of IFS
- Crop Production: Cultivation of field crops, horticulture, and agroforestry for food, income, and soil health.
- Livestock Rearing: Dairy, poultry, and small ruminants provide protein, income, and natural fertilizers.
- Aquaculture: Fish farming and integrated rice-fish systems contribute to protein and pest control.
- Organic Farming: Composting and vermiculture recycle organic matter, reducing chemical dependency.
- Apiculture & Sericulture: Beekeeping and silk production boost income and biodiversity.
- Mushroom Cultivation: Adds value through waste management and high-income crops.
- Biogas Production: Converts organic waste into energy and fertilizer.
- Renewable Energy: Utilizes solar and wind power for eco-friendly farming.
- Water Management: Efficient irrigation and rainwater harvesting optimize water use.
- Integrated Pest Management: Reduces chemical use via biological and cultural controls.
Advantages of IFS
- Enhanced Productivity: Optimized interactions among components increase output.
- Resource Efficiency: Waste from one system is reused in another, minimizing loss.
- Risk Mitigation: Diversified systems cushion against market and climatic shocks.
- Environmental Benefits: Agroforestry and organic practices improve soil health and biodiversity.
- Income Stability: Multiple streams of production stabilize earnings.
- Nutritional Security: Diverse outputs provide a balanced diet.
- Employment Generation: Increased labor needs create rural job opportunities.
- Waste Reduction: Closed-loop systems minimize environmental impact.
Learn in Hindi
एकीकृत कृषि प्रणाली क्या है?
एकीकृत कृषि प्रणाली एक व्यापक और टिकाऊ कृषि पद्धति है जो उत्पादकता में वृद्धि, संसाधन दक्षता, जोखिमको कम और पर्यावरण संरक्षण सहित कई लाभ प्रदान करती है। यह विविधता को बढ़ावा देने और संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करके, IFS कृषि समुदायों के लिए आर्थिक स्थिरता और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) में विभिन्न घटक शामिल हैं जो एक टिकाऊ और कुशल कृषि मॉडल बनाने के लिए काम करते हैं। इन घटकों के एकीकरण से उत्पादकता, संसाधन उपयोग और पर्यावरणीय स्थिरता में वृद्धि होती है।
कृषि मे विज्ञान पद्धतियों ने कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि की है, लेकिन अवांछनीय गुणों से पर्यावरण मे गिरावट के कारण कृषि में परिचालन / उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है। इसलिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग करने के लिए कृषि प्रणालियों के विभिन्न घटकों को एक साथ रखा जा रहा है और एक घटक (जैसे मुर्गी पालन) का अपशिष्ट दूसरे घटक (जैसे फसल उत्पादन) के लिए इनपुट स्रोत है। जिससे उत्पादन लागत कम हो जाती है।
आईएफएस समग्र और टिकाऊ कृषि दृष्टिकोण है जो संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने, उत्पादकता बढ़ाने और जैविक संतुलन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कृषि पद्धतियों को जोड़ता है।
आईएफएस के घटक क्या हैं?
1. फसल उत्पादन
खेत की फसलें: अनाज, दालें, तिलहन और अन्य मुख्य फसलें उगाना जो स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हों।
बागवानी: फलों, सब्जियों और फूलों की खेती जो अधिक आय और पोषण संबंधी लाभ प्रदान कर सकती हैं।
कृषि वानिकी: पेड़ों और झाड़ियों को फसल और पशुधन प्रणालियों में एकीकृत करना, जो मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने, छाया प्रदान करने और हवा के अवरोध के रूप में काम करने में मदद करता है।
2. पशुपालन
डेयरी फार्मिंग: दूध उत्पादन के लिए मवेशी या भैंस पालना, जो दैनिक आय का एक विश्वसनीय स्रोत हो सकता है।
पोल्ट्री फार्मिंग: मांस और अंडे के उत्पादन के लिए मुर्गियों, बत्तखों या अन्य पक्षियों को पालना, जिससे प्रोटीन और आय दोनों मिलती है।
छोटे जुगाली करने वाले: मांस, दूध और ऊन के लिए बकरियों और भेड़ों को पालना, जो सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है।
3. जलीय कृषि
मछली पालन: खेत के भीतर एकीकृत तालाबों या अन्य जल निकायों में मछली पालन, प्रोटीन और आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना।
एकीकृत चावल-मछली पालन: चावल की खेती के साथ मछली पालन का संयोजन, जहां मछली कीटों को नियंत्रित करने और अतिरिक्त आय प्रदान करने में मदद कर सकती है।
4. कृषि वानिकी
सिल्वीकल्चर: ऐसे पेड़ों की खेती करना जो मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता में सुधार करते हुए लकड़ी, ईंधन, चारा और फल प्रदान कर सकें।
गली फसल: मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार में सुधार के लिए पेड़ों या झाड़ियों की पंक्तियों के बीच फसल उगाना।
5. जैविक खेती
खाद बनाना: जैविक अपशिष्ट पदार्थों को पुनर्चक्रित करके खाद बनाना, जो मिट्टी को समृद्ध / उर्वर बनाता है और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करता है।
वर्मीकल्चर: जैविक पदार्थों को विघटित करने के लिए केंचुओं का उपयोग करना, जिसके द्वारा पोषक तत्वों से भरपूर वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करना।
6. मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन: शहद उत्पादन और परागण के लिए मधुमक्खियों का पालन, जिससे फसल की पैदावार और जैव विविधता में वृद्धि हो सकती है।
7. रेशम उत्पादन
रेशम उत्पादन: रेशम के लिए रेशम के कीड़ों का पालन, जो आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान कर सकता है और इसे शहतूत की खेती के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
8. मशरूम की खेती
कवक की खेती: कृषि अपशिष्ट उत्पादों का उपयोग करके मशरूम उगाना, जो उच्च मूल्य वाला उत्पाद प्रदान करता है और अपशिष्ट प्रबंधन में मदद करता है।
9. बायोगैस उत्पादन
जैव-पाचन: पशुओं के गोबर और अन्य जैविक अपशिष्टों का उपयोग खाना पकाने और बिजली के लिए बायोगैस बनाने के लिए करना, और घोल बनाना जिसे उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
10. नवीकरणीय ऊर्जा
सौर और पवन ऊर्जा: कृषि कार्यों को संचालित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और कार्बन फुटप्रिंट कम करना।
11. जल प्रबंधन
वर्षा जल संचयन: सिंचाई और अन्य उपयोगों के लिए वर्षा जल को एकत्रित करना और संग्रहीत करना।
सिंचाई प्रणाली: जल उपयोग को अनुकूलित करने के लिए ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी कुशल सिंचाई विधियों को लागू करना।
12. एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम)
जैविक नियंत्रण: कीटों के प्रबंधन के लिए प्राकृतिक शिकारियों या परजीवियों का उपयोग करना, जिसके द्वारा रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करना।
कल्चरल क्रियाये: फसल चक्र, अंतर-फसल और अन्य क्रिया को लागू करना जो कीट और रोग की घटनाओं को कम करते हैं।
एकीकृत कृषि प्रणाली के उद्देश्य
इसका लक्ष्य एक टिकाऊ, कुशल और लाभदायक कृषि मॉडल बनाना है जो संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है और बर्बादी को कम करता है। यह समग्र दृष्टिकोण पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देता है और विभिन्न कृषि घटकों के बीच तालमेल का लाभ उठाकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाता है।
1. टिकाऊ: ऐसी कृषि प्रणाली बनाना जो पर्यावरण और आर्थिक दोनों दृष्टि से दीर्घकालिक रूप से स्थाई हो।
2. संसाधन अनुकूलन: भूमि, जल और श्रम सहित उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग इस तरह से करना कि उत्पादकता बढ़े और बर्बादी कम हो।
3. विविधीकरण: एक ही प्रकार की फसल या पशुधन के जोखिम और निर्भरता को कम करने के लिए कृषि गतिविधियों में विविधता लाना।
4. पर्यावरण संरक्षण: मिट्टी, जल और जैव विविधता को संरक्षित करने वाली क्रियाओ के माध्यम से पर्यावरणीय क्षरण को कम करना।
5. आर्थिक स्थिरता: स्थिर और विविध आय द्वारा सुनिश्चित करके खेतों की आर्थिक लचीलापन में सुधार करना।
6. पोषण सुरक्षा: कृषक परिवार और स्थानीय समुदाय के लिए विविध और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता बढ़ाना।
एकीकृत कृषि प्रणाली के लाभ
1. उत्पादकता में वृद्धि: विभिन्न कृषि गतिविधियों को एकीकृत करके, IFS मोनोकल्चर सिस्टम की तुलना में अधिक उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है। एक घटक के आउटपुट दूसरे के लिए इनपुट के रूप में काम करते हैं, जिससे एक बंद लूप सिस्टम बनता है।
2. संसाधन दक्षता: IFS संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, पशुधन अपशिष्ट का उपयोग फसलों के लिए उर्वरक के रूप में किया जा सकता है, जबकि फसल अवशेषों का उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जा सकता है।
3. जोखिम को कम करता है: कृषि प्रणाली के भीतर विविधीकरण जोखिम को कम करने में मदद करता है। यदि एक फसल या पशुधन गतिविधि विफल हो जाती है, तो अन्य उसकी के द्वारा क्षतिपूर्ति कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि किसान की आजीविका बाजार या जलवायु झटकों के प्रति कम संवेदनशील है।
4. पर्यावरणीय लाभ: एकीकृत कृषि पद्धतियाँ रासायनिक इनपुट पर निर्भरता को कम करती हैं, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करती हैं और जैव विविधता को बढ़ाती हैं। कृषि वानिकी जैसी पद्धतियाँ मिट्टी के स्वास्थ्य और जल प्रतिधारण में सुधार करती हैं।
5. आय स्थिरता: विभिन्न प्रकार के उत्पादों का उत्पादन करके, IFS आय के कई स्रोत सुनिश्चित करता है, जिससे किसानों को मूल्य में उतार-चढ़ाव और बाजार की मांग में बदलाव के प्रति कम संवेदनशील बनाता है।
6. पोषण संबंधी लाभ: IFS में उगाए जाने वाले उत्पादों की विविधता कृषक परिवारों और स्थानीय समुदायों के लिए अधिक संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान करती है।
7. रोजगार सृजन: IFS में अक्सर मोनोकल्चर की तुलना में अधिक श्रम इनपुट की आवश्यकता होती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।
8. अपशिष्ट में कमी: सिस्टम के भीतर अपशिष्ट उत्पादों को पुनर्चक्रित करके, IFS अपशिष्ट को कम करता है और खेती की गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है।
What is Integrated Farming System?
the Integrated Farming System is a comprehensive and sustainable agricultural practice that offers numerous benefits, including enhanced productivity, resource efficiency, risk mitigation, and environmental protection. By promoting diversity and optimizing the use of resources, IFS helps to ensure economic stability and nutritional security for farming communities.
Integrated Farming System (IFS) is comprised of various components that work synergistically to create a sustainable and efficient agricultural model. The integration of these components enhances productivity, resource use, and environmental sustainability.
Agronomics practices enhanced agricultural productivity significantly but undesirable environment and degradation accompained by increasing operational cost in agriculture. Hence the various components of farming systems are being together for utilizing the local resource and the waste of one component (like poultry ) is input source for other component (like crop production ) .
IFS is holistic and sustainable agricultural approach that's combine various farming practices to optimize the use of resources, enhance productivity and ensure biological balance.
What are the Components of IFS?
1. Crop Production
- Field Crops: Growing cereals, pulses, oilseeds, and other staple crops that are suited to the local agro-climatic conditions.
- Horticulture: Cultivation of fruits, vegetables, and flowers that can provide higher income and nutritional benefits.
- Agroforestry: Integration of trees and shrubs into crop and livestock systems, which helps in improving soil fertility, providing shade, and serving as windbreaks.
2. Livestock Rearing
- Dairy Farming: Raising cattle or buffaloes for milk production, which can be a reliable source of daily income.
- Poultry Farming: Rearing chickens, ducks, or other birds for meat and egg production, providing both protein and income.
- Small Ruminants: Raising goats and sheep for meat, milk, and wool, which can be particularly beneficial in regions with limited resources.
3. Aquaculture
- Fish Farming: Cultivating fish in ponds or other water bodies integrated within the farm, providing an additional source of protein and income.
- Integrated Rice-Fish Farming: Combining fish farming with rice cultivation, where fish can help control pests and provide additional income.
4. Agroforestry
- Silviculture: Cultivating trees that can provide timber, fuel, fodder, and fruits while improving soil health and biodiversity.
- Alley Cropping: Growing crops between rows of trees or shrubs to improve soil fertility and crop yields.
5. Organic Farming
- Composting: Recycling organic waste materials to create compost, which enriches the soil and reduces the need for chemical fertilizers.
- Vermiculture: Using earthworms to decompose organic matter, producing nutrient-rich vermicompost.
6. Apiculture
- Beekeeping: Rearing bees for honey production and pollination services, which can enhance crop yields and biodiversity.
7. Sericulture
- Silk Production: Rearing silkworms for silk, which can provide an additional source of income and can be integrated with mulberry cultivation.
8. Mushroom Cultivation
- Fungi Farming: Growing mushrooms using agricultural waste products, which provides a high-value product and helps in waste management.
9. Biogas Production
- Bio-digestion: Utilizing animal dung and other organic wastes to produce biogas for cooking and electricity, and producing slurry that can be used as fertilizer.
10. Renewable Energy
- Solar and Wind Energy: Using renewable energy sources to power farm operations, reducing dependency on fossil fuels and lowering carbon footprints.
11. Water Management
- Rainwater Harvesting: Collecting and storing rainwater for irrigation and other uses.
- Irrigation Systems: Implementing efficient irrigation methods like drip or sprinkler systems to optimize water use.
12. Integrated Pest Management (IPM)
- Biological Control: Using natural predators or parasites to manage pests, reducing the need for chemical pesticides.
- Cultural Practices: Implementing crop rotation, intercropping, and other practices that reduce pest and disease incidence.
Objectives of Integrated Farming System
The goal is to create a sustainable, efficient, and profitable farming model that optimizes resource use and reduces waste. This holistic approach promotes ecological balance and enhances farm productivity by leveraging the synergies between different agricultural components.
1. Sustainability: To create a farming system that is sustainable over the long term, both environmentally and economically.
2. Resource Optimization: To maximize the use of available resources, including land, water, and labor, in a manner that enhances productivity and reduces waste.
3. Diversification: To diversify farm activities to reduce risk and dependency on a single type of crop or livestock.
4. Environmental Protection: To minimize environmental degradation through practices that conserve soil, water, and biodiversity.
5. Economic Stability: To improve the economic resilience of farms by ensuring a stable and diversified income stream.
6. Nutritional Security: To enhance the availability of diverse and nutritious food for the farm family and local community.
Advantages of Integrated Farming System
1. Enhanced Productivity: By integrating various farming activities, IFS can significantly increase overall productivity compared to monoculture systems. The outputs of one component serve as inputs for another, creating a closed-loop system.
2. Resource Efficiency: IFS promotes the efficient use of resources. For example, livestock waste can be used as fertilizer for crops, while crop residues can be used as feed for livestock.
3. Risk Mitigation: Diversification within the farming system helps in spreading risk. If one crop or livestock activity fails, others can compensate, ensuring the farmer's livelihood is less vulnerable to market or climatic shocks.
4. Environmental Benefits: Integrated farming practices reduce reliance on chemical inputs, lower greenhouse gas emissions, and enhance biodiversity. Practices like agroforestry improve soil health and water retention.
5. Income Stability: By producing a variety of products, IFS ensures multiple streams of income, making farmers less susceptible to price fluctuations and market demand changes.
6. Nutritional Benefits: The diversity of products grown in IFS provides a more balanced and nutritious diet for farming families and local communities.
7. Employment Generation: IFS often requires more labor input compared to monoculture, which can generate employment opportunities in rural areas.
8. Waste Reduction: By recycling waste products within the system, IFS minimizes waste and reduces the environmental footprint of farming activities.
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