Join Telegram Channel Contact Us Join Now!

Methods of Sowing - Agrobotany

Please wait 0 seconds...
Scroll Down and click on Go to Link for destination
Congrats! Link is Generated
Methods of Sowing
Table of Content{Index}
Learn in Brief{Click on Me}
Sowing

Sowing is the process of planting seeds in the soil at the right depth and spacing for optimal growth. There are various methods of sowing, each suitable for different crops, soil types, and climates:

Broadcasting

Scattering seeds over the soil; quick but uneven distribution.

Drilling

Sowing seeds in rows; ensures uniform distribution.

Dibbling

Placing seeds in holes; precise but labor-intensive.

Transplanting

Moving seedlings from nurseries to fields; ensures healthy plants but requires careful handling.

Hill Dropping

Dropping seeds in groups; allows better spacing.

Check Row Planting

Sowing seeds in a grid pattern; facilitates mechanical weeding.

Sowing Management

Sowing management involves mechanical factors like seed size, sowing depth, seedbed texture, and soil moisture, as well as biological factors like companion crops, competition for light, and soil microorganisms.

Learn in Hindi

बुवाई

बुवाई के तरीके

बुवाई कृषि में एक महत्वपूर्ण कदम/ क्रिया है जिसमें उचित अंकुरण और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए मिट्टी में बीज डालना शामिल है। फसल, मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर बुवाई के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है। बुवाई के मुख्य तरीके इस प्रकार हैं:

💫ब्रॉडकास्टिंग विधि 

विवरण: बीजों को मिट्टी की सतह पर मैन्युअल या यांत्रिक रूप से बिखेरा जाता है।

लाभ:

  • सरल और त्वरित विधि।
  • छोटे अनाज और घास के लिए उपयुक्त।

हानि:

  • बीज असमान रूप से वितरित होते हैं।
  • उच्च बीज दर की आवश्यकता होती है।
  • पोषक तत्वों और सूर्य के प्रकाश के लिए पौधों के बीच प्रतिस्पर्धा।

उपयोग: आमतौर पर गेहूं, चावल और घास जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

💫ड्रिलिंग विधि 

विवरण: बीजों को एक निर्दिष्ट गहराई और अंतर पर पंक्तियों में बीज ड्रिल का उपयोग करके बोया जाता है।

लाभ:

  • एक समान बीज वितरण और गहराई।
  • बीजों का कुशल उपयोग।
  • बेहतर मिट्टी-बीज संपर्क, जिससे अंकुरण दर अधिक होती है।

हानि:

  • अधिक समय और श्रम की आवश्यकता होती है।
  •  विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है।

उपयोग: गेहूँ, जौ और फलियों जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

💫डिबलिंग विधि 

विवरण: बीजों को नियमित अंतराल पर बनाए गए छेदों में रखा जाता है और मिट्टी से ढक दिया जाता है।

लाभ:

  • बीजों की सटीक नियुक्ति।
  • बीज की बर्बादी कम होती है।
  • व्यक्तिगत पौधों के लिए बेहतर अंतर।

हानि:

  • श्रम-गहन और समय लेने वाला।
  • बड़े पैमाने पर खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।

उपयोग: आमतौर पर सब्जियों और मक्का और कपास जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

💫रोपाई विधि 

विवरण: इस विधि में नर्सरी में उगाए गए पौधों को मुख्य खेत में रोपा जाता है।

लाभ:

  • स्वस्थ और मजबूत पौधे सुनिश्चित करता है।
  • संसाधनों और स्थान का बेहतर उपयोग।

हानि:

  • श्रम-गहन और सावधानीपूर्वक संभाल की आवश्यकता होती है।
  • नर्सरी प्रबंधन के कारण उच्च लागत।

उपयोग: आमतौर पर चावल, टमाटर और तंबाकू जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

💫हिल ड्रॉपिंग विधि 

विवरण: बीजों को निर्दिष्ट दूरी पर समूहों (पहाड़ियों) में गिराया जाता है।

लाभ:

  • बेहतर दूरी और वायु परिसंचरण की अनुमति देता है।
  • पौधों के बीच प्रतिस्पर्धा को कम करता है।

हानि:

  • ड्रिलिंग की तुलना में अधिक बीजों की आवश्यकता होती है।
  • अधिक श्रम-गहन।

उपयोग: मक्का, कद्दू और तरबूज जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

💫पंक्ति रोपण विधि 

विवरण: बीजों को ग्रिड पैटर्न में बोया जाता है, जिससे दोनों दिशाओं में समान दूरी सुनिश्चित होती है।

लाभ:

  • यांत्रिक निराई और अंतर-खेती की सुविधा देता है।
  • स्थान और पोषक तत्वों का कुशल उपयोग।

हानि:

  • सटीक उपकरण और सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता होती है।
  • अधिक समय लेने वाला।

उपयोग: कपास और मूंगफली जैसी फसलों के लिए उपयोग किया जाता है।

बुवाई प्रबंधन में सम्मलित कारक

बुवाई प्रबंधन को मोटे तौर पर दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है: यांत्रिक कारक और जैविक कारक।

1. यांत्रिक कारक

इन कारकों में बुवाई की गहराई, बीज का आकार और वजन, बीज की बनावट, बीज-मिट्टी का संपर्क, बीज की उर्वरता और मिट्टी की नमी शामिल हैं।

  • बीज का आकार और वजन: बड़े, भारी बीज अधिक जोरदार अंकुर पैदा करते हैं। छोटे बीजों की तुलना में निषेचन इन अंकुरों को अधिक लाभ पहुँचाता है।
  • बुवाई की गहराई: इष्टतम बुवाई की गहराई 2.5-3 सेमी है। गहरी बुवाई से अंकुरण और फसल की अवधि में देरी हो सकती है, लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने में सहायता मिल सकती है।
  • उद्भव की आदत: हाइपोगेल अंकुर समान आकार के एपिगेल अंकुरों की तुलना में गहरी परतों से निकल सकते हैं।
  • बीज की बनावट: आदर्श मिट्टी की बनावट पपड़ी के गठन को कम करती है और वायु संचार को अधिकतम करती है, जिससे गैस विनिमय, तापमान और नमी प्रभावित होती है।
  • बीज-मिट्टी का संपर्क: पानी के अवशोषण के लिए अच्छा संपर्क महत्वपूर्ण है। प्रसारित बीजों के चारों ओर मिट्टी बनाने से यह संपर्क बढ़ता है।
  •  बीज की उर्वरता: चावल और बाजरा जैसी फसलों को उपजाऊ मिट्टी में कम मात्रा में और खराब मिट्टी में अधिक मात्रा में बोया जाना चाहिए। गैर-जुताई वाली फसलों को खराब मिट्टी पर अधिक बीज दर की आवश्यकता हो सकती है।
  •  मिट्टी की नमी: दलदली चावल को छोड़कर, अधिक नमी अंकुरण में बाधा डाल सकती है और बीमारी का कारण बन सकती है। नमी के स्तर के आधार पर बुवाई की गहराई को समायोजित करें, सूखी मिट्टी के लिए गहरी बुवाई करें और गीली मिट्टी के लिए उथली बुवाई करें।

 2. जैविक कारक

 इन कारकों में साथी फसलें, प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा और मिट्टी के सूक्ष्मजीव शामिल हैं। 

  • साथी फसलें: खरपतवारों को दबाने और कटाव को नियंत्रित करने के लिए इन्हें जल्दी बोया जाता है। उदाहरण के लिए, कसावा को प्रकाश प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए रतालू या मक्का में बाद में लगाया जाता है।
  •  प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा: मिश्रित स्टैंड में, इष्टतम अंतर फसलों के बीच प्रकाश प्रतिस्पर्धा को कम करता है।
  •  मिट्टी के सूक्ष्मजीव: लाभकारी मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को बीज या अंकुरों को नुकसान पहुँचाए बिना बीज के अंकुरण को बढ़ावा देना चाहिए।

Sowing

Sowing is the process of planting seeds in the soil to grow new plants. It involves placing seeds at the correct depth and spacing to ensure they have the best chance of germinating and developing into healthy plants. 
Sowing can be done directly in the field (direct sowing) or in containers, trays, or nurseries (indirect sowing) before transplanting the seedlings to their final location. The method of sowing can vary based on factors such as the type of crop, soil conditions, and climate. Proper sowing techniques are crucial for achieving good crop yields and healthy plant growth.

Methods of Sowing

Sowing is a crucial step in agriculture that involves placing seeds in the soil to ensure proper germination and growth. Different methods of sowing are used depending on the crop, soil type, and climatic conditions. Here are the main methods of sowing:

Broadcasting

Description: Seeds are scattered manually or mechanically over the soil surface.

Advantages:

  • Simple and quick method.
  • Suitable for small grains and grasses.

Disadvantages:

  • Seeds are unevenly distributed.
  • Higher seed rate required.
  • Competition among plants for nutrients and sunlight.

Usage: Commonly used for crops like wheat, rice, and grasses.

Drilling

Description: Seeds are sown in rows at a specified depth and spacing using a seed drill.

Advantages:

  • Uniform seed distribution and depth.
  • Efficient use of seeds.
  • Better soil-seed contact, leading to higher germination rates.

Disadvantages:

  • Requires more time and labor.
  • Requires specialized equipment.

Usage: Used for crops like wheat, barley, and legumes.

Dibbling

Description: Seeds are placed in holes made at regular intervals and covered with soil.

Advantages:

  • Precise seed placement.
  • Reduces seed wastage.
  • Better spacing for individual plants.

Disadvantages:

  • Labor-intensive and time-consuming.
  • Not suitable for large-scale farming.

Usage: Commonly used for vegetables and crops like maize and cotton.

Transplanting

Description: Seedlings grown in nurseries are transplanted to the main field.

Advantages:

  • Ensures healthy and strong plants.
  • Better use of resources and space.

Disadvantages:

  • Labor-intensive and requires careful handling.
  • Higher costs due to nursery management.

Usage: Commonly used for crops like rice, tomatoes, and tobacco.

Hill Dropping

Description: Seeds are dropped in groups (hills) at specified distances.

Advantages:

  • Allows for better spacing and air circulation.
  • Reduces competition among plants.

Disadvantages:

  • Requires more seeds compared to drilling.
  • More labor-intensive.

Usage: Used for crops like maize, pumpkin, and watermelon.

Check Row Planting

Description: Seeds are sown in a grid pattern, ensuring uniform spacing in both directions.

Advantages:

  • Facilitates mechanical weeding and inter-cultivation.
  • Efficient use of space and nutrients.

Disadvantages:

  • Requires precise equipment and careful planning.
  • More time-consuming.

Usage: Used for crops like cotton and peanuts.

Factors Involved in Sowing Management

Sowing management can be broadly classified into two groups: Mechanical factors and Biological factors.

1. Mechanical Factors

These factors include depth of sowing, seed size and weight, seedbed texture, seed-soil contact, seedbed fertility, and soil moisture.

  • Seed Size and Weight: Larger, heavier seeds tend to produce more vigorous seedlings. Fertilization benefits these seedlings more compared to smaller seeds.
  • Depth of Sowing: Optimal sowing depth is 2.5-3 cm. Deeper sowing can delay emergence and crop duration but may aid survival under adverse conditions.
  • Emergence Habit: Hypogeal seedlings can emerge from deeper layers than epigeal seedlings of similar size.
  • Seedbed Texture: Ideal soil texture minimizes crust formation and maximizes aeration, impacting gas exchange, temperature, and moisture.
  • Seed-Soil Contact: Good contact is crucial for water absorption. Forming the soil around broadcasted seeds enhances this contact.
  • Seedbed Fertility: Crops like rice and bajra should be sown thinly in fertile soils and densely in poorer soils. Non-tillering crops may require higher seed rates on poor soils.
  • Soil Moisture: Excess moisture can hinder germination and cause disease, except in swamp rice. Adjust sowing depth based on moisture levels, with deeper sowing for dry soils and shallow for wet soils.

2. Biological Factors

These factors include companion crops, competition for light, and soil microorganisms.

  • Companion Crops: These are sown early to suppress weeds and control erosion. For instance, cassava is planted later in yam or maize to minimize light competition.
  • Competition for Light: In mixed stands, optimal spacing reduces light competition among crops.
  • Soil Microorganisms: Beneficial soil microorganisms should promote seed germination without harming seeds or seedlings.

About the Author

I'm an ordinary student of agriculture.

Post a Comment

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.